गजब! होली पर कराई जाती है नए दामाद को गधे की सवारी

महाराष्ट्र के बीड जिले के विडा येवता गांव में होली की अनोखी परंपरा है. यहां गांव के सबसे नए दामाद को गधे की सवारी कराई जाती है. दामाद गांव छोड़ कर ना भागें, इसलिए पहले से ही उन पर गांववालों का पहरा होता है.

मार्च 7, 2023 - 19:55
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गजब! होली पर कराई जाती है नए दामाद को गधे की सवारी

महाराष्ट्र के बीड जिले में गधों के भी दिन फिरते हैं, जब होली आती है. यहां होली की एक अद्भुत परंपरा है. होली के दिन गांव के सबसे नए दामाद को गधे की सवारी कराई जाती है. हर बार होली के वक्त दामाद की खातिरदारी के इस यूनिक तरीके की खूब चर्चा होती है. दामाद जिस गधे की सवारी करते हैं, उसे भी अच्छी तरह से नहलाया-धुलाया जाता है. फिर उसे रंग-बिरंगे तरीकों से सजाया जाता है. यह अनोखी परंपरा बीड जिले के केज तहसील के विडा येवता गांव में मनाई जाती है.

यह परंपरा कोई आज की नहीं है. करीब आठ से नौ दशक पुरानी इस परंपरा शुरू होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल गांव के अनंतराव देशमुख के दामाद जी कुछ ज्यादा ही शर्मीले और भोले थे. होली खेलने को तैयार ही नहीं हो रहे थे. बस फिर क्या, देशमुख परिवार ने दामाद को गांव भर में घुमा-घुमा कर होली खेलवाने का पूरा प्लान बना डाला. एक गधा मंगवाया गया. उसे खूब सजाया गया. फिर दामाद जी पकड़ कर उस गधे पर बैठाया गया और गांव भर में उन्हें घुमाया गया. इसके बाद दामाद जी को सोने की अंगूठी और ढेर सारे तोहफे और नए कपड़े गिफ्ट किए गए. तभी सेे यह परंपरा शुरू हो गई जो आज तक कायम है.

यह परंपरा कुछ इस तरह से निभाई जाती है कि पहले दो-दिनों तक इस बात के लेकर गांव में एक अहम बैठक होती है. इस बैठक में यह चर्चा होती है कि गांव में किस-किस घर में शादी हुई है. इसके बाद सर्व सम्मति से गांव के सबसे नए दामाद का चुनाव होता है. यह बात गांव के दामाद को भी पता होती है. ऐसे में जो गांव इस रस्म से बच कर निकलना चाहता है वो ठीक होली से पहले गांव से निकल भागने की कोशिश में लगा रहता है. लेकिन गांव वाले भी पूरे सयाने होते हैं और इरादे के पक्के होते हैं. गांववालों की ओर से दामाद जी पर पहरा होता है, ताकि वे कहीं निकल ना जाएं.

जब होली आती है तो दामाद जी को गधे की सवारी कर पूरे गांव का चक्कर लगाया जाता है. फिर आखिर में उन्हें मंदिर ले जाया जाता है. भगवान की पूजा अर्चना कर के यहां दामाद जी की आरती उतारी जाती है, उन्हें तिलक लगाया जाता है और फिर उन्हें सोने की अंगूठी पहनाई जाती है और फिर ढेर सारे तोहफे के साथ उन्हें सम्मानित किया जाता है. सालों पुरानी परंपरा बिना रुके और थके सालों से कायम है.

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