बलूचिस्तान विद्रोहियों की धमकी से डर कर चीन ने कॉन्सुलर ऑफिस बंद किया?
चीन की बलूचिस्तान में मौजूदगी ने एक नयी जंग शुरू कर दी है। चीन को खनिजों से भरपूर बलूचिस्तान में आर्थिक फायदा दिख रहा है तो वहीं बलूचों के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई बन गयी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद के डिप्लोमैटिक एन्क्लेव ने बताया कि चीनी दूतावास को आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) और बलूच अलगाववादियों से लगातार धमकियां मिल रही थीं। इसलिए बीजिंग ने चीनी दूतावास को फिलहाल अपनी कांसुलर सेवाओं को निलंबित करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि चीन की बलूचिस्तान में मौजूदगी का बलूच भारी विरोध कर रहे है। इस्लामाबाद में चीनी दूतावास का कॉन्सुलर सेक्शन 13 फरवरी 2023 से अगली सूचना तक अस्थायी रूप से बंद रहेगा।
Balochistan and China: चीन ने बीते दिन तकनीकी मुद्दों का हवाला देकर इस्लामाबाद में अपने दूतावास के कॉन्सुलर सेक्शन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। चीनी दूतावास ने इस्लामाबाद में अपनी वेबसाइट पर इसका ऐलान किया है। हालांकि, चीन की ओर इसके पीछे न तो कोई खास वजह बताई गई है और न ही बताया है कि दूतावास का कॉन्सुलर सेक्शन दोबारा कब खोला जाएगा? चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी किये गये नोटिस में कहा गया है कि तकनीकी मुद्दों के कारण, इस्लामाबाद में चीनी दूतावास का कॉन्सुलर सेक्शन 13 फरवरी 2023 से अगली सूचना तक अस्थायी रूप से बंद रहेगा।
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक ऐसा सूबा है, जहां सोने, तांबे और गैस के बड़े कुदरती भंडार है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक इस इलाके में सोने (गोल्ड) के भी भंडार हो सकते है। इसलिए चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इस जगह को खास मानता है। जबकि बलूचों का कहना है कि चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान हमारी संपदाओं का खनन कर यहां से ला जा रहे हैं और हमें कुछ नहीं मिलता। साथ ही वे हम पर जुल्म भी करते हैं। बलूचों का आरोप ये भी है कि पाकिस्तान अपनी खपत का आधा गैस यहां से निकालता है लेकिन हमें कुछ नहीं मिलता। फिलहाल यह पाकिस्तान का सबसे गरीब इलाका है जहां 60 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे है।
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