पुस्तक दिवस
विश्व पुस्तक दिवस के इस अवसर पर अगर मुझे किसी एक किताब नाम लेना हो, जिसे सभी को पढ़नी चाहिए, तो मैं अपने सीमित अध्ययन के आधार पर जिस किताब का नाम लूँगा, वह लियोनिद सोलोवयेव की 'दास्तान-ए-नसरुद्दीन' (The Beggar of the Harem: Impudent Adventures in Old Bukhara) है. इसका हिन्दी संस्करण पहली दफ़ा 1957 में छपा था. तुर्की से लेकर पूर्वी यूरोप, चीन और मध्य एशिया तक में फैलीं लोककथाओं पर आधारित यह किताब मूल रूसी में चालीस के दशक में आयी थी. यह एक अद्भुत किताब है. पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस या राजस्थान पब्लिशिंग हाउस से मिल सकती है. नीचे लिंक है, ऑनलाइन मँगा सकते हैं. इसका पुराना संस्करण छोटे और प्यारे आकार में था, यह सामान्य आकार में हैं. इस किताब पर फ़िल्में बन चुकी हैं. दूरदर्शन पर एक शानदार सीरियल भी आता था कभी. इसकी कई प्रतियां लें और अपनों को उपहार में दें.
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