पिता -पुत्र के बदलते रिश्ते और हमारा समाज
बाप-बेटे के रिश्ते से ज़्यादा अहम दुनिया में कोई रिश्ता नहीं है.
प्राचीन रोम में पिता की हत्या को सबसे बड़ा अपराध माना जाता था और उसके लिए कठोरतम दंड का प्रावधान था, जिसमें अपराधी को बोरे में कुछ जानवरों- कुत्तों, बंदरों, साँप आदि- के साथ बंद कर नदी में फेंक दिया जाता था.
इसके चेहरे को भेड़िये के छाल से ढँक दिया जाता था और बुरी तरह से पीटा भी जाता था. वहाँ पिता को अपने पुत्रों पर पूरा अधिकार होता था और वह चाहे, तो पुत्र को जान से मार भी सकता था. हमारे यहाँ ऐसी पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें पिता के कहने पर पुत्र ने माता की हत्या की है. ऐसी कथाएँ और वास्तविक घटनाएँ भी हैं, जहाँ माता के कहने पर पुत्रों ने अपने पिता के हत्यारों की हत्या की.
ख़ैर, अभी यह सब जो होने लगा है, वह भयावह है. अगर परिवार अच्छे नहीं होंगे, तो समाज भी अच्छा नहीं होगा. पिताओं का सबसे बड़ा उत्तरदायित्व आज अपनी संतानों को बचाने का होना चाहिए, हर तरह से बचाने का.
पुत्रों का सबसे बड़ा कर्तव्य अपने पिता का आदर और देखभाल होना चाहिए.
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?