अतीत से

अप्रैल 6, 2023 - 15:05
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अतीत से

1876 से 1878 के बीच साल भारत में भीषण अकाल पड़ा. बयासी लाख भारतीयों को अपने प्राण गंवाने पड़े. 1876 में ही लॉर्ड एडवर्ड रॉबर्ट लिटन को भारत का वायसराय बना कर भेजा गया था.

1857 के ग़दर के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर 1858 में तय हुआ कि भारत पर ब्रिटिश राजशाही के प्रतिनिधि के बतौर एक सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट शासन करेगा.

1877 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डिजरायली ने महारानी विक्टोरिया को भारत की भी मलिका घोषित कर दिया. यह माना जाता था कि ऐसा करने से भारत-इंग्लैण्ड सम्बन्ध और भी मजबूत होंगे. लॉर्ड लिटन ओवन मेरेडिथ के छद्म नाम से शायरी करता था और महारानी उसकी शायरी की जबरदस्त प्रशंसक थी. इस लिहाज से विक्टोरिया को भारत की मलिका बनाया जाना लॉर्ड लिटन के लिए बहुत बड़ी घटना थी. इसका जश्न मनाया जाना तय हुआ.

 अकाल अपने चरम पर पहुंच चुका था और भारत की जनता दाने-दाने को तरस रही थी. शरद के महीनों के दौरान जब दक्षिण भारत की खरीफ की फसल खेतों में सड़ रही थी, लिटन मलिका विक्टोरिया को कैसर-ए-हिन्द बनाए जाने के जश्न की तैयारी कर रहा था.

 लिटन ने दिल्ली के अपने दरबार में 68,000 मेहमानों को दावत पर न्यौता. तमाम अंग्रेज अधिकारी और क्षत्रप-महाराजे शामिल हुए. सात दिन सात रात जश्न चलता रहा. सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट लॉर्ड सेलिसबरी के जीवनीकार ने दर्ज किया – “वायसराय ने अरेबियन नाइट्स के किस्सों को सच कर दिखाया. इतना महंगा, इतना रईस और कुछ नहीं हो सकता.”

‘द टाइम्स’ अखबार ने लिखा – “दुनिया के इतिहास में ऐसा विराट और महंगा भोज कभी नहीं हुआ होगा!” बड़े मानवतावादी पत्रकार के तौर पर मशहूर विलियम डिग्बी ने बाद में अंदाजा लगाया कि उन सात दिन-सात रातों में मद्रास और मैसूर की रियासतों में करीब एक लाख लोग भूख से मरे जिनके लिए महारानी विक्टोरिया ने लिटन की मार्फ़त “सम्पन्नता और खुशहाली की शुभकामनाएं” भिजवाई थीं.

नीरो तब भी था. अब भी है.

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