मोटा अनाज

अप्रैल 7, 2023 - 22:26
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मोटा अनाज

मोटा अनाज

'मोटा खाओ, मोटा पहनो' बड़े-बूढ़ों की इस कहावत में आवश्यक स्वास्थ्य सलाह छिपी है। आधुनिक समाज के सेहत के प्रति जागरुक लोग तो कब के ग्लूटेन फ्री फ़ूड पर शिफ्ट हो गए हैं लेकिन अभी भी देश के बड़े वर्ग की थाली में अनाज के नाम पर केवल गेहूँ और चावल ही मिलता है। गेहूँ, चावल, मैदा आदि और इनसे बने उच्च कैलोरी के फास्ट-फूड और जंक फूड खाने से मोटापा, एसिडिटी, मधुमेह और हृदय रोगों की समस्या विकराल होती जा रही है।

जौ, जई, बाजरा, ज्वार, रागी, चना, मक्का, सांवा, कोदो आदि मोटा अनाज या कोर्स ग्रेन्स कहलाते हैं। ये सुपर फूड से कम नहीं हैं। इन्हें मोटा अनाज कहने के दो कारण हैं। एक तो इनमें फाइबर प्रचुरता से मिलता है, दूसरा- ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं। धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है।

 इसकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की ज़रूरत भी नहीं पड़ती इसलिए ये इको-फ्रेंडली भी हैं। फाइबर्स में पानी सोखने की प्रवृत्ति होती है और ये फूलने वाले (बल्किंग) एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करते हैं और बड़ी आंत में मल जमा होने की अवधि को कम करते हैं। ये हाइपो कॉलेस्ट्रेमिक एजेंट के रूप में कार्य करते हैं इसलिए हृदय- रक्तवाहिका तंत्र रोगों में लाभदायक होते हैं। भोजन को सुपाच्य बनाते हैं, कब्ज़ दूर करते हैं।

चावल में अन्य अनाजों की तुलना में सबसे कम फाइबर्स होते हैं। ज्वार में 48%, बाजरे और रागी में 15-20% आहार फाइबर्स मौजूद है। मोटे अनाज की सबसे बड़ी विशेषता इनका सुपाच्य होना और गेहूँ-चावल की तुलना में अधिक पौष्टिक होना है। बच्चे, बूढ़ों और सेहत के प्रति सचेत युवाओं को इनका सेवन अवश्य ही करना चाहिये।

????रागी- कैल्शियम और आयरन का बढ़िया स्रोत है। एनीमिया, जोड़ों का दर्द, हड्डियों की कमज़ोरी और मधुमेह में लाभकारी है। प्रति 100 ग्राम रागी में लगभग 344 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। रागी में लौह तत्त्व की मात्रा 3.9मिग्रा/100ग्राम होती है, जो बाजरे को छोड़कर सभी अनाजों से अधिक है। इसे मल्टीग्रेन आटे में मिक्स करके या रोटी, चीले, उपमा, इडली, वर्मीसेली और हलवे के तौर पर बनाकर खाया जा सकता है।

????बाजरा- यह भी उच्च पोषण वाला मोटा अनाज है। इसमें फाइबर और प्रोटीन भरपूर होता है। प्रति 100 ग्राम बाजरे में लगभग 11.6 ग्राम प्रोटीन, 67.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 8 मिलीग्राम आयरन और 132 मिलीग्राम कैरोटीन होता है। यह आँखों की रौशनी ठीक रखने और खून की कमी दूर करने में भी सहायक है। इसमें अमीनो एसिड, कैल्शियम, ज़िंक, आयरन, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, पोटैशियम और विटामिन बी 6, सी, ई जैसे कई विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की भी अच्छी मात्रा होती है, जो नींद लाने और पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह कैंसर-रोधी भी है व बैड कोलेस्टेरॉल के लेवल को कम करता है। इसे अंकुरित करके या भिगोकर, पीसकर, सेंककर खाना श्रेयस्कर है। इसके अलावा रोटी, गुड़ की टिक्की, बाफले-बाटी, दलिया, खिचड़ी आदि बनाकर खाया जा सकता है।

ज्वार- यह सबसे सुपाच्य मोटा अनाज है। अधिकांश बेबी फूड और डबल रोटी उद्योग में इसका प्रयोग होता है। प्रति 100 ग्राम में 10.4 ग्रा. प्रोटीन, 66.2 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 2.7 ग्रा. फाइबर्स और अन्य सूक्ष्य तथा वृहत पोषण तत्त्व मौजूद होते हैं। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है, कॉपर और आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाकर एनीमिया दूर करते हैं। गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद के दिनों के लिए इसका सेवन फ़ायदेमंद है. इसके अलावा इसमें पोटैशियम और फ़ॉस्फ़ोरस की भी अच्छी मात्रा होती है। यह कब्ज़ और मोटापे में लाभप्रद है।

जौ- इसमें अन्य अनाजों की तुलना में सबसे ज़्यादा मात्रा में अल्कोहल पाया जाता है, इस कारण यह डाईयूरेटिक(मूत्रल) होता है। इसलिए पथरी, मूत्र संक्रमण, उच्च रक्तचाप में यह लाभदायक होता है। इसमें फाइबर्स, एंटी-ऑक्सीडेंट, मेग्नीशियम आदि होते हैं। जौ में आठ तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो शरीर में इंसुलिन के निर्माण में मदद करते हैं, इसलिये मधुमेह में लाभप्रद है। जौ मोटापा और कब्ज़ दूर करने, कोलेस्टराॅल घटाने में भी सहायक है। इसका सेवन दलिया, रोटी, खिचड़ी, फोर्टिफाइड ओट्स के रूप में भी किया जाता है।

कोदो- यह जनजातियों में विशेष रूप से प्रचलित है। इसमें वसा, प्रोटीन, फाइबर होते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण मधुमेह के रोगियों को चावल के स्थान पर इसका उपयोग करने की सलाह दी जाती है। मक्का- इसे अंतिम रखने का कारण यह है कि इसमें स्टार्च बहुत अधिक होता है, जबकि यह पॉपकॉर्न और स्वीट-कॉर्न के रूप में संसार भर में लोकप्रिय है। लेकिन मोटापे से जूझ रहे लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरीज़ की मात्रा अधिक होती है। मक्का विटामिन ए और फ़ॉलिक एसिड से भरपूर होता है जो एनीमिया और हृदय रोगों में लाभकर है। इसमें कई तरह के ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं, जो कैंसर-रोधी होते हैं।

पके हुए मक्का में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की मात्रा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यह बैड कोलेस्टेरॉल को कंट्रोल करता है। गर्भवती महिलाओं में यह ख़ून की कमी को दूर कर गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ रखता है। नोट- कुछ मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार आदि में पाइटिक एसिड, पॉलीफेनॉल और एमाइलेज़ जैसे कुछ पोषण-निरोधी अवरोधक होते हैं, जो पोषक तत्वों का शरीर में अवशोषण रोकते हैं। लेकिन रोस्ट करना, अंकुरण, पानी में भिगोने और माल्टिंग जैसी कुछ विधियों से मोटे अनाज के पोषण रोधी तत्त्व दूर किये जा सकते हैं।अंकुरण के बाद और धूप में सुखाने के बाद अधिकतर अवांछित एंज़ाइम नष्ट हो जाते हैं। यह माल्टेड मोटे अनाज, शिशु आहार फार्मूलों और साथ ही बूढ़े व्यक्तियों के पोषण में काफी उपयोगी और गुणकारक होते हैं।

World Health Day

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