हिटलर
तानाशाह इतिहास मे एक बदबूदार मौत के लिए मजबूर हुए हैं। इतिहास को भूलना एक गलती है। 29 अप्रैल, 1945 को सुबह 3 बजे एक पीले रंग का ट्रक मिलान शहर के पियाज़ाले लोरेटो चौक पर रुका. उसमें रखे मुसोलिनी, उनकी प्रेमिका और 16 अन्य लोगों के शव चौक के गीले पत्थरों पर नीचे फेंक दिए गए. आठ बजते बजते अख़बार के एक विशेष संस्करण और एक रेडियो बुलेटिन के ज़रिए पूरे शहर में ख़बर फैल गई कि 'डूचे' को मौत की सज़ा दे दी गई है और पियाज़ाले लोरेटो पर उनका शव पड़ा हुआ है. ये वही जगह थी जहाँ 8 महीने पहले मुसोलिनी ने अपने 15 विरोधियों को गोली से उड़वा दिया था. रे मोज़ली अपनी किताब 'द लास्ट 600 डेज़ ऑफ़ डूचे' में लिखते हैं 'ख़बर मिलते ही वहाँ करीब 5000 लोगों की अनियंत्रित भीड़ जमा हो गई. एक महिला ने मुसोलिनी के मृत शरीर के सिर में पाँच गोलियाँ मार कर कहा कि उसने अपने पाँच बच्चों की मौत का बदला ले लिया है. एक और महिला ने अपना स्कर्ट उठाया और सब लोगों के सामने बैठ कर मुसोलिनी के विक्षत चेहरे पर पेशाब कर दिया. एक और महिला कहीं से एक चाबुक ले आई और मुसोलिनी के शरीर को उससे पीटने लगी. एक और शख़्स ने मुसोलिनी के मुँह में मरा हुआ चूहा डालने की कोशिश की. इस दौरान वो लगातार चिल्लाता रहा, 'अब भाषण दो इस मुँह से. मुसोलिनी की ये हालात देखकर ही हिटलर ने अपनी आत्महत्या के बाद अपने शरीर को पूरी तरह जला देने के लिए कहा था, उसने अपने निजी अंगरक्षक हींज़ लिंगे को बुला कर कहा था, "जैसे ही मैं अपनेआप को गोली मारूँ तो तुम मेरे मृत शरीर को चांसलरी के बगीचे में ले जा कर उसमें आग लगा देना. मेरी मौत के बाद कोई मुझे देखे नहीं और न ही पहचान नहीं पाए. इसके बाद तुम मेरे कमरे में वापस जाना और मेरी वर्दी, कागज़ और हर चीज़ जिसे मैंने इस्तेमाल किया है,जमा करना और बाहर आकर उसमें आग लगा देना. सिर्फ़ अंटन ग्राफ़ के बनाए गए फ़्रेडरिक महान के तैल चित्र को तुम्हें नहीं छूना है जिसे मेरा ड्राइवर मेरी मौत के बाद सुरक्षित बर्लिन से बाहर ले जाएगा."
(साभार बीबीसी रिपोर्ट्स)
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