मंगल पाण्डेय
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर
लिए बिना गर्दन की मोल
कलम आज उनकी जय बोल।
मंगल पांडेय जी की पुण्य तिथि पर शत शत नमन।
स्वदेश व स्वयं की रक्षा हेतु प्राणों की आहुति देना मैं अपना नैतिक कर्तव्य मानता हूं। जियो भी शान से, मरो भी शान से, अरे देश के निर्लज्ज जो तुम्हें शर्म आनी चाहिए, मुट्ठी भर अंग्रेज गोरे तुम पर हुकूमत कर रहे हैं, मेरा साथ दो बंदूक उठा लो, इन्हें मार दो कोई भी जिंदा बचकर ना भागने पाए, मूर्खों, हम औरतें, बच्चे हंसाएंगे। गुलामी में जीने की अपेक्षा हंसते-हंसते देश के लिए बलिदान होना श्रेयस्कर है।
तुम अपना खून दो, खून की होली खेलो, राष्ट्रहित सर्वोपरि है, यह फिरंगी जाएंगे, देश आजाद होगा। हमें आजादी मिलेगी, मुझे पूरा विश्वास है, भले ही देश की आजादी के लिए 100 बरस लगे, मैं बड़ा भाग्यशाली हूं कि भारत माता की सेवा में मुझे अपने प्राणों की आहुति देने का अवसर सर्वप्रथम कुछ ही समय पश्चात होने जा रहा है।
मैं भारत माता से प्रार्थना करता हूं कि मेरा जन्म भारत में ही हो, मैं सौ जन्म तक राष्ट्र के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर बलिदान हूं, यही मेरी अंतिम इच्छा है। ईश्वर से प्रार्थना है कि यह मक्कार फिरंगी, झूठे, दगाबाज एक मंगल को फांसी पर चढ़ा कर स्वतंत्रा संग्राम रोकना चाहते हैं, अब यह रुकने वाला नहीं है।
आज के बाद पूरे भारत में लाखों मंगल पांडेय तैयार हो जाएंगे और देश की आजादी के लिए बलिदान हो जाएंगे।
मुझे पूरा विश्वास है देश की रक्षा आजादी के लिए हिंसा करना बहुत बड़ा पुण्य का कार्य है।
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