एक बिल्ली की जान और इस्त्रराइल के झूँठ
एक बिल्ली की जान और इस्राइल के झूठ __________________________________
Can you ever forgive me ?
साहित्यिक फ़रेब पर लिखी गई यादों की एक किताब है, जो अब ख़ूबसूरत फ़िल्म में तब्दील हो चुकी है. इसे ली इस्राइल नामक अमेरिकी पत्रकार-लेखिका ने अपने ग़ुरबत के दिनों में मुमकिन किया था.
दिलचस्प यह है कि इसमें जिन फ़रेबों का ज़िक्र है, उन्हें ख़ुद इस्राइल ने ही अंजाम दिए थे. अमेरिकी हस्तियों पर लिखी गई उनकी बायोग्रफ़ी उन्हें उतनी शोहरत नहीं दिला पाई, जितना अपने झूठ का ईमानदार कंफ़ेशन! यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इंसान कब, कैसे झूठा और फ़रेबी बन जाता है. किसी की फ़ितरत होती है, कोई मजबूरन झूठ का दामन थाम लेता है.
इस्राइल मजबूर थीं. उनकी लिखी गई किताबें बिक नहीं रही थीं. प्रकाशक, बुक एजेंट वग़ैरह उन्हें आउटडेटेड मान कर साहित्यिक जलसों में बुलाना बंद कर चुके थे. पुरानी किताबों के नए संस्करण छप नहीं रहे थे. जो किताबें बच गई थीं, उन्हें बुकसेलर 70 फ़ीसद की छूट देकर किसी तरह निकाल देना चाहते थे.
कभी कैथरिन हैप्पबर्न पर लिख कर सुर्ख़ियाँ पाने वाली प्रौढ़ ली इस्राइल धीरे-धीरे काम पाने, मकान का किराया देने यहाँ तक कि अपनी बीमार बिल्ली के इलाज में भी असमर्थ हो गईं.
बिल्ली की जान बचाने के लिए उन्होंने अपने संग्रह में रखी मशहूर लेखकों की ‘रेयर’ किताबें बेचनी शुरू कीं. कुछ पैसे तो मिले, लेकिन ये काफ़ी नहीं थे.
हताश इस्राइल को यहीं से फ़रेब का आइडिया कौंधा. उनके भीतर के बायोग्रफ़र ने तब मशहूर लेखकों के नाम से झूठी चिट्ठियाँ लिखनी शुरू कर दी. इस्राइल की प्रतिभा ऐसी थी कि वह डोरोथी पार्कर के नाम से वह झूठी चिट्ठी लिखतीं और ‘दुर्लभ के आग्रही’ उसे सच मान उम्दा क़ीमत देकर ख़रीदते.
मढ़वाकर अपने ड्रॉइंग रूम में टाँगते. इस फ़ॉर्म्युला के हिट होते ही ली ने दूसरे नामचीन लेखकों के नाम से भी उनकी भाषा-शैली में मज़ेदार और अनपेक्षित चिट्ठियाँ लिखीं. उन्हें ‘पूर्वजों’ की भेंट बता कर बेचना शुरू कर दिया. पैसे बरसने लगे.
बिल्ली का इलाज हो गया. रेंट नियमित. जीवन ख़ुशहाल. लेकिन ऐसे झूठ ज़्यादा दिन चल नहीं पाते. इस्राइल की अन्यथा झूठी चिट्ठियों के आधार पर कुछ लेखकों की जीवनियॉं जब ‘नए तथ्यों के साथ’ छपनी शुरू हुईं, तो पूरा फरेब पकड़ में आया. यहाँ उनकी मदद एक गे दोस्त ने की, जो उन्हें झूठी चिट्ठियों को रिसर्च के बहाने लाइब्रेरी और फ़ाउंडेशन में ‘प्लांट’ कराने का आइडिया दे गया.
इस्राइल ने बहुत ग्लानि से जीवनयापन के लिए ऐसा भी किया. इसमें उन्हें कुछ कामयाबी भी मिली. लेकिन अंतत: यह भांडा भी फूट गया. गे दोस्त जुदा हो गया. एकमात्र साथी बिल्ली की मौत हो गई. टूट के बावजूद अकेली इस्राइल का जीवन ख़त्म नहीं हुआ था.
हताशा के इस अंतिम बिंदु पर वह सोचती हैं कि जब मेरे फ़रेब में लोगों को इतनी दिलचस्पी है, तो इस ‘फ़रेब के सच’ में कितनी होगी? अपने साहित्यिक फरेबों की फ़ेहरिस्त और इस ‘अनूठे असंभव’ को संभव बनाने की दास्तान
उन्होंने Can you ever forgive me? शीर्षक से लिख डाली और एक लेखिका के तौर पर पाठकों के बीच शानदार वापसी की. काश, ली इस्राइल यह देखने के लिए भी जीवित रहतीं कि उनके अक्षरों से अब एक फ़िल्म उग आई है,
जिसमें उनकी भूमिका अदा करनेवाली मेलिसा मैकार्थी ऑस्कर्स-2018 में बेस्ट ऐक्ट्रेस की दौड़ में शामिल हुईं! •••
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