कविता
मुझ में विक्षिप्त झकोरे!
उन्माद मिला दो अपना,
हाँ नाच उठे जिसको
छू मेरा नन्हा सा सपना!!
~ महादेवी वर्मा
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मुझ में विक्षिप्त झकोरे!
उन्माद मिला दो अपना,
हाँ नाच उठे जिसको
छू मेरा नन्हा सा सपना!!
~ महादेवी वर्मा