शेर
                                क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों
दूरियों में भी दिलकशी है अभी
Ahmed Faraaz
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                                क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों
दूरियों में भी दिलकशी है अभी
Ahmed Faraaz