बंगाल में लोकसभा चुनाव संकट में? हाई कोर्ट ने नहीं होने देने की चेतावनी क्यों दी? हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मुर्शिदाबाद हिंसा पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
बंगाल में लोकसभा चुनाव संकट में? हाई कोर्ट ने नहीं होने देने की चेतावनी क्यों दी? हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मुर्शिदाबाद हिंसा पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने रामनवमी के दिन हुई हिंसा पर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि जिन जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, वहां वो लोकसभा चुनाव की अनुमति नहीं देगा. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मुर्शिदाबाद हिंसा पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है. साथ ही चुनाव आयोग से मांग की गई है कि बरहामपुर में चुनाव स्थगित की जाए.
पश्चिम बंगाल में सात चरणों में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले 17 अप्रैल को रामनवमी पर मुर्शिदाबाद और पूर्वी मिदनापुर में हिंसा हुई थी. इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट में NIA जांच की मांग करते हुए एक याचिका डाली गई थी. इसी पर सुनवाई करते हुए 23 अप्रैल को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार से कहा, अगर लोग 8 घंटे भी कोई त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से नहीं मना सकते हैं, तो हम चुनाव आयोग से सिफारिश करेंगे कि ऐसे क्षेत्रों में चुनाव ना कराए. यही एक तरीका है. अगर चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद अगर दो समुदाय के लोग इस तरह लड़ रहे हैं, तो इन्हें प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट देने का अधिकार नहीं है."
कोर्ट ने चुनाव स्थगित करने का कोई आदेश नहीं दिया. लेकिन इतना कहा कि वो चुनाव आयोग को प्रस्ताव देगा कि बहरामपुर में चुनाव स्थगित हो. ये सीट मुर्शिदाबाद जिले में पड़ती है. इसके अलावा कोर्ट ने हिंसा की घटनाओं पर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. मामले में अगली सुनवाई अब 26 अप्रैल को होगी.
मुर्शिदाबाद में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा में कम से कम 20 लोग घायल हुए थे. पूर्वी मिदनापुर में भी हिंसा के कारण कई लोग घायल हुए थे. हिंसा के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरा था. राज्य में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा था कि ये ममता बनर्जी के भड़काने के कारण हुआ. वहीं, ममता बनर्जी ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा दिया था.
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