डॉक्टर का 'लव जिहाद', इकबाल बना राजू, निशा से रचाई दूसरी शादी और फिर हत्या

बरेली में एक डॉक्टर के लव जिहाद का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। डॉक्टर ने अपना नाम बदला। महिला को अपने झांसे में लिया। शादी की और फिर मार डाला। हत्या का राज 9 साल की बेटी ने खोल दिया।

मई 10, 2023 - 21:33
 0  27
डॉक्टर का 'लव जिहाद', इकबाल बना राजू, निशा से रचाई दूसरी शादी और फिर हत्या

उत्तर प्रदेश के बरेली की कोर्ट में 9 साल की बच्ची ने गवाही दी और आरोपी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई। बच्ची ने गवाही में अपनी मां की हत्या के आरोपी पिता को दोषी बताया था। मामला 2021 का है। डॉक्टर पिता ने अपने दो सहयोगियों की मदद से अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इस मामले में कोर्ट ने आरोपी डॉक्टर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस पूरे मामले में 9 साल की बच्ची की गवाही ने बड़ी भूमिका निभाई है।

बरेली में क्लिनिक चलाने वाले आरोपी डॉक्टर इकबाल अहमद ने 2012 में सहारनपुर की रहने वाली निशा देवी से शादी की थी। उनकी दो बेटियां हैं। 26 अक्टूबर 2021 को निशा अपने घर में मृत पाई गई। वहां से डॉक्टर गायब पाया गया था। पुलिस ने शव को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया। निशा की मां कौशल देवी को बाद में नाबालिग लड़की ने बताया कि उसकी मां को उसके पिता ने मार डाला है। ऑटोप्सी रिपोर्ट ने बच्ची के बयान की पुष्टि की। रिपोर्ट में साफ हो गया था कि निशा का गला घोंट कर मार डाला गया था।

एडीजीसी ने कहा कि निशा की मां की शिकायत पर इकबाल और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (समान मामले को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों की ओर से किए गए कार्य) के तहत केस दर्ज किया गया। 28 अक्टूबर 2021 को दर्ज कराए गए केस में गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण अधिनियम के निषेध के तहत भी एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) सचिन जायसवाल ने बताया कि फाइलों के अनुसार, निशा और इकबाल ने लव मैरिज की थी। निशा के सामने इकबाल ने खुद को डॉ. राजू शर्मा के नाम से पेश किया। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सहारनपुर में शादी हुई। इसके बाद दोनों सहारनपुर में रहने लगे। निशा को अपने पति की पहचान के बारे में तब पता चला जब वे बरेली के मीरगंज गए। उसे पता चला कि 'राजू' वास्तव में इकबाल था। वह पहले से ही शादीशुदा था। आरोपी ने फिर उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उसके विश्वास को हासिल करने की कोशिश की। लेकिन, निशा उसे इस रूप में मानने से इनकार कर रही थी। बाद में डॉक्टर ने उसकी हत्या कर दी।

एडीजीसी सचिन जायसवाल ने कहा कि 9 साल की बेटी, जो तीसरी कक्षा में पढ़ती है, के बयान ने आरोपी को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई।बच्ची ने अदालत को बताया कि उसकी मां टीवी देख रही थी, तभी उसके पिता और दो लोगों ने उसे मार डाला। अपराध की जघन्य प्रकृति, हमने मृत्युदंड के लिए तर्क दिया। मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश तबरेज अहमद की अदालत के समक्ष हुई, जिन्होंने तीनों को आईपीसी की धारा 302 और 34 के तहत दोषी पाया। उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow