वट सावित्री व्रत आज, जानिए पूजा की सामग्री, मंत्र और महत्व
वट सावित्री व्रत आज, जानिए पूजा की सामग्री, मंत्र और महत्व
अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री ज्येष्ठ महीने की कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है, आज ही ये पावन दिन है इस व्रत के लिए महिलाएं काफी उत्साहित रहती हैं। सोलह श्रृंगार करके जब पत्नियां भरी दोपहर में अपनी पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की फेरी करती हैं तो वो दृश्य अनुपम और अलौकिक होता है। ये त्योहार है आस्था का, चाहत का, विश्वास और समर्पण का, ये पर्व बड़ी ही श्रद्धा के साथ यूपी, बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मनाया जाता है। कब होगी बरगद की पूजा इस बार पूर्णिमा का प्रारंभ 18 मई की रात 09 बजकर 42 मिनट पर हो गया था और इसका समापन 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा, उदया तिथी शुक्रवार को होने की वजह से वट सावित्री व्रत आज रखा गया है।
सबसे पहले नहाधोकर आप स्वच्छ कपड़े पहनें, फिर रसोई में जाकर पूजा के लिए पुड़ी और आटे के बरगद बनाएं। इसके बाद आप खुद को तैयार करें। आज के दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी होता है। फिर बरगद के पेड़ के नीच सावित्री-सत्यवान की तस्वीर रखकर पूजा करें और सारी सामग्री उन्हें अर्पित करें। कथा सुनें और फिर बरगद की 107 फेरी लगाकर सावित्री माता और बरगद के वृक्ष से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें और घर-आंगन के लिए सुख-शांति मांगे। शुद्धजल चढ़ाएं, फिर वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत से स्वास्तिक बनाकर पूजन करें। फिर प्रसाद खाकर जल पिएं और गरीबों को दान करें।
पूजा के दौरान हर महिला को 108 बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाहिए ऐसा करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है। महामृत्युजंय मंत्र निम्नलिखित है यम मंत्र ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि। तन्नो यम: प्रचोदयात्। फेरे लेनें के दौरान करें इस मंत्र का जाप यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सर्वानि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।
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