हिन्दी साहित्य
                                सारा संसार नृत्यशाला है। उसमें लोग अपना - अपना नाच नाच रहे हैं। - प्रेमचंद
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                                सारा संसार नृत्यशाला है। उसमें लोग अपना - अपना नाच नाच रहे हैं। - प्रेमचंद