लगातार मोबाइल गेम खेलने से मुड़ जाएगा अंगूठा

8 घंटे से ज्यादा समय फोन पर गेम खेलते हैं भारतीय

फ़रवरी 27, 2023 - 21:32
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लगातार मोबाइल गेम खेलने से मुड़ जाएगा अंगूठा

इंडिया मोबाइल ऑफ गेमिंग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय हफ्ते में औसतन 8.36 घंटे मोबाइल पर गेम खेलते हैं। 60 प्रतिशत गेमर्स एक बार में लगातार 3 घंटे गेम खेलते हैं।
मोबाइल गेम की लत में उत्तरप्रदेश पहले नंबर पर है। महाराष्ट्र, राजस्थान दूसरे और तीसरे नंबर पर है। बिहार चौथे और पश्चिम बंगाल का नंबर पांचवां है।
2020 में की गई एक दूसरी रिपोर्ट में सामने आया कि 65 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन गेमिंग के लिए खाना और नींद छोड़ने के लिए तैयार रहते हैं।
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, अक्सर समय बिताने के लिए लोग इसे खेलना शुरू करते हैं। ये कब आदत में बदल जाता है और जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाता है इसका पता खेलने वालों को नहीं चलता।

मोबाइल फोन के गेम्स को डिजाइन ही इस तरह से किया जाता है कि अगर गेमर हार भी जाए तो भी बार-बार खेलने का मन करता है। गेम्स बनाने वाले इन्हें ऐसे डिजाइन करते हैं कि यह सिर्फ इतना मुश्किल हो कि उनमें आपकी दिलचस्पी बनी रहे।

इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि गेम इतना टफ न बन जाए कि खेलने वाले हार के बाद गिव अप कर दें। या फिर वो दूसरे खेल की तरफ स्विच कर जाए। साथ ही आज मार्केट में इतने सारे गेम्स अवेलेबल हैं कि हर किसी के लिए कोई न कोई गेम मिल ही जाता है।

अगर ऑनलाइन गेमिंग की लत हो गई है तो साइकायट्रिस्ट से सलाह लें। डॉक्टर इसका ट्रीटमेंट तीन तरह से करते हैं…

  • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी: इस थेरेपी में थेरेपिस्ट आपको अपने विचारों और सोच पर ध्यान देने को कहते हैं। इससे आप समझेंगे कि आपके विचार कैसे आपके काम पर असर डालते हैं। इससे गेमिंग एडिक्शन से आने वाले नेगेटिव विचारों से छुटकारा मिलता है। इसके बाद ही दिमाग में नए और पॉजिटिव विचार आ पाएंगे।
  • ग्रुप थेरेपी: इस थेरेपी में गेमिंग एडिक्शन से जूझ रहे कई लोगों को एक साथ बिठाया जाता है। वो सभी लोग अपने प्रॉब्लम्स डिसकस करते हैं। इससे सभी को मॉरल सपोर्ट मिलता है और एडिक्शन छोड़ने के लिए मोटिवेशन मिलती है।
  • फैमिली और मैरिज काउंसलिंग: इसमें गेमिंग एडिक्शन से जूझ रहे लोगों के परिवार वालों और करीबियों को समझाया जाता है कि कैसे पेशेंट को हैंडल करना है।

इससे मेंटल, फिजिकल और फाइनेंशियल तौर पर हमें कई तरह का नुकसान होता है। जैसे-

  • ऑनलाइन गेमिंग के जरिए कई फ्रॉड किए जा रहे हैं।
  • गेम खेलते हुए आप नहीं जानते जिसके साथ खेल रहे हैं, वो कौन है। ऐसे में साथ खेल रहा खिलाड़ी आपको साइबरबुलिंग का शिकार बना सकता है।
  • ऑनलाइन गेम की बहुत जल्दी लत लग जाती है। इसलिए जो भी लोग इन्हें खेलना शुरू करते हैं वो इन्हें खेले बिना नहीं रह पाते।
  • शूटिंग और फाइटिंग वाले कुछ ऑनलाइन गेम्स हिंसा को बढ़ावा देते हैं। इन्हें खेलने वाले बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
  • कई ऑनलाइन गेम एडल्ट के लिए डिजाइन किए जाते हैं मगर रेगुलेशन की कमी की वजह से बच्चे भी उन्हें खेलते हैं।
  • लंबे समय तक गेम खेलते रहने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। लोग बहुत देर तक एक ही पोजिशन में बैठकर या लेटकर खेलते रहते हैं। इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं।

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