माफिया बन जीती नेहरू की सीट, अब जेल में बंद
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद, पत्नी शाइस्ता परवीन और दोनों बेटों के खिलाफ बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। क्योंकि, बीते सप्ताह ही प्रयागराज में सरेआम उमेश पाल समेत उनके गनर की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का मामला उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी गूंजा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच काफी तीखीं नोकझोंक देखने को मिली। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अतीक अहमद जैसे माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही।
कहानी 1979 की है, जब प्रयागराज का नाम इलाहाबाद हुआ करता था। तब 10वीं फेल 17 साल का अतीक परिवार चलाने के लिए पिता के साथ कभी-कभार स्टेशन रोड पर तांगा चला लिया करता था। इसी दौरान गलत लड़कों के साथ संगत हो गई और जल्दी से अमीर बनने, और पावर हासिल करने की सनक दिमाग पर चढ़ गई। इसी के चलते लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा। उसी साल अतीक पर हत्या का भी एक केस दर्ज हुआ। वहीं मात्र 17 की उम्र में पहली हत्या करने वाले अतीक अहमद के खिलाफ आज 120 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
क्या है अतीक अहमद की पूरी कहानी?
अतीक अहमद फिलहाल गुजरात की साबरमती जेल में बंद हैं। अतीक ने राजनीति की शुरुआत 1989 में की। जब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी बाहुबली चांद बाबा के खिलाफ इलाहाबाद पश्चिम से चुनाव लडा और अपनी दहशत के दम पर विधायक बना। अगले दो विधानसभा चुनावों (साल 1991, 1993) में अपनी सीट बरकरार रखने के बाद अतीक साल 1996 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया और लगातार चौथी बार विधायक बना। तीन साल में ही सपा से मोहभंग हो गया और अपना दल में शामिल हो गये और 2002 में एक बार फिर से सीट जीती। वहीं सपा के साथ फिर संबंध मधुर हुए और साल 2004 में सपा में लौट गया। मुलायम सिंह यादव ने सपा में लौटने का इनाम देते हुए अतीक को फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद का टिकट दिया, अतीत सांसद बन गया। गौर करने वाली बात यह है कि कभी फूलपुर सीट से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चुनाव लड़ते थे।
यहां से शुरू हुआ अतीक का बुरा वक्त
सांसद बनने पर अतीक अहमद को इलाहाबाद पश्चिम की विधायकी छोड़नी पड़ी। उपचुनाव हुआ। सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया। तभी 'कथित' तौर पर अतीक का दायां हाथ कहे जाने वाले राजू पाल ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। अक्टूबर 2004 में राजू पाल चुनाव जीत गया। पहली बार अतीक को किसी ने टक्कर दी, अब बात रसूख की थी। विधायक बनने के 3 महीने बाद 15 जनवरी 2005 को राजू पाल ने पूजा पाल से शादी की। शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का नाम सामने आया। तभी से अतीक अहमद का बुरा वक्त चालू हो गया।
सपा ने पार्टी से निकाला और मायावती ने जेल में डाला!
वहीं साल 2007 में यूपी की सत्ता बदली और मायावती मुख्यमंत्री बन गईं। सत्ता जाते ही सपा ने अतीक को पार्टी से निकाल बाहर किया। मायावती की सरकार ने अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया। अतत: कोई चारा न पाकर अतीक ने 2008 में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद अतीक पर लगातार कई मुकदमें दर्ज होने लगे। उसे राजनीतिक करियर समाप्त होने का डर सताने लगा। तभी साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में उतरने का उसने मन बनाया और चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की। लेकिन, हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। मीडिया इसे अतीक का खौफ ही बताता है। तभी 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक अहमद को जमानत दे दी। हालांकि, उस चुनाव में अतीक अहमद को राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के दद्दन मिश्रा से हार मिली।
अतीक अहमद के पूरे परिवार पर है केस दर्ज
अतीक अहमद ने 1996 में शाइस्ता परवीन से निकाह किया था। इन दोनों के पांच बेटे हैं (मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली, मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबाम)। इसके पांच में चार बेटों का भी आपराधिक रिकॉर्ड है। फिलहाल मोहम्मद उमर (लखनऊ जेल) और मोहम्मद अली (प्रयागराज जेल) में बंद हैं जबकि, दो बेटे मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबान, उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस हिरासत में हैं। वहीं अतीक अहमद का भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है। वहीं शाइस्ता परवीन के खिलाफ भी उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अपने पति की हत्या के मामले में कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
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