कथाकार
उदास करुणा
___________ दरअसल, जब आप कहीं न होते हुए भी कहीं होते हैं, तो इस होने का अन्त एक करुणा में ही हो सकता है. सारी तकलीफ़ और छटपटाहट बाजुओं में उतरने के पहले ही इस उदास करुणा में ढल जाती है.
••• इस अन्तराल के एक छोर पर है अतीत, अनुभव के मिथ की तरह. दूसरे छोर पर है वर्तमान, अनुभव की वास्तविकता की तरह.
☘️मलयज, अपनी किताब “संवाद और एकालाप” में.
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?