चलचित्र भीड़
Movie-Bheed और बेहतर हो सकती थी, बहुत कुछ था जो छूट गया। वो क्या है न जनता शोर्ट टर्म मैमोरी लाॅस से पीड़ित है। शायद लोगों को वो मंज़र याद आ जाता और तस्वीर-ए- हालात बदलने की कोई सूरत होती।
मगर हुक्मरान डरें हैं इसलिए तो फिल्म के कुछ सीन कम कर दिए। वो जनता की एकता की ताकत से वाकिफ़ हैं और वाकिफ़ है आपदा में अवसर कैसे भुनाए। इसलिए लोगों को डर दिखाकर इक दूसरे के खिलाफ़ कर रहे हैं। जहाँ बोलना, सवाल करना तक अपराध घोषित किया जा चुका हो, वहाँ फिल्म की शक्ल में अपनी बात रखना, दिखाता है कि सब रीढ़विहीन नहीं हुए अभी। अभी कहीं कुछ बचे हैं जो बोलेंगे भी, लिखेंगे भी और आँख मिलाकर बात भी रखेंगे।
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