कविता
                                आदमी के छोटेपन से ज़्यादा छोटा
और कुछ नहीं हो सकता...
अपने को बड़ा रखने की
छोटी-से-छोटी कोशिश भी
दुनिया को बड़ा रखने की कोशिश है
कुँवर नारायण ???? कविता
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                                आदमी के छोटेपन से ज़्यादा छोटा
और कुछ नहीं हो सकता...
अपने को बड़ा रखने की
छोटी-से-छोटी कोशिश भी
दुनिया को बड़ा रखने की कोशिश है
कुँवर नारायण ???? कविता