भारतीय रेल का पहला केबल ब्रिज, बड़े विस्फोट को सहने की क्षमता
भारतीय रेल का पहला और एकलौता केबल ब्रिज अंजी पुल का निर्माण जारी है. भारतीय रेलवे की सबसे चुनौतीपूर्ण उधमपुर - श्रीनगर - बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के तहत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में इसका निर्माण किया जा रहा है.
अंजी खड्ड पुल जम्मू एवं कश्मीर में कटरा और रियासी को जोड़ने वाला देश का पहला केबल आधारित रेल पुल है. यह पुल उधमपुर - श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक राष्ट्रीय परियोजना का एक भाग है. यह पुल हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है, जो दुर्गम पहाड़ियों और प्राकृतिक जटिलताओं व भूकम्प संभावित क्षेत्र में स्थित है. पुल निर्माण के बड़े हिस्से के अंतर्गत 40 मीटर गहरी हाइब्रिड नींव, केंद्रीय तटबंध और सहायक पुल के साथ मुख्य पाइलॉन का कार्य श्रीनगर छोर से किया गया है.
अंजी पुल को तेज हवाओं के भारी तूफानों को झेलने के लिहाज से डिजाइन किया गया है. इसकी डिजाइन विंड स्पीड 213 किलोमीटर प्रति घण्टा आंकी गई है यानि 213km/hr तक का आंधी तूफ़ान ये पुल झेल सकता है. साथ ही इस लाइन का डिजाइन 100 किलोमीटर प्रति घंटा की क्षमता के अनुरूप तैयार किया गया जिससे ट्रेन अपने गंतव्य तक अधिक तेजी से पहुंच सकती है.
पुल के डेक पर 40 किलोग्राम के विस्फोटक के साथ प्रयोग करने पर ये पता चला कि स्थायी भार के तहत पुल को कोई क्षति नहीं होगी और सीमित लागत के साथ त्वरित मरम्मत संभव है यानि विष्फोट से भी इसकी सेफ्टी रहेगी. अंजी खड्ड पुल 82 मीटर से 295 मीटर तक की लंबाई वाले 96 केबलों पर आधारित है. मुख्य पायलन के निर्माण में 20 मीटर हाइब्रिड वैल फाउंडेशन की परिधि के चारों ओर 40 मीटर गहराई के माइक्रोपाइल्स का उपयोग किया गया है.
ये क्षेत्र सिस्मिक जोन 4 में है. इस क्षेत्र की भूकंप की संभावनाओं का आकलन करने के लिए भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की द्वारा साइट विशिष्ट भूकंप मापदंडों का अध्ययन किया गया है. पुल के महत्व के कारण, सेवा के दौरान पुल के संरचनात्मक स्वास्थ्य की निगरानी के लिए बड़ी संख्या में सेंसर लगाए जाएंगे. इंजीनियर ने इस पुल को सिस्मिक ज़ोन 5 के हिसाब से तैयार किया है.
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