सर्वे में खुलासा- जिन मोहल्लों में मंदिर, वहां भाजपा आगे; दक्षिण में इसका उलट
सर्वे में सामने आया है कि जिन इलाकों में कोई मंदिर है, वहां आसपास के बूथों पर भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है।
देश की सियासत में मंदिरों की कितनी भूमिका है, इसे समझने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वे कराया है। साथ ही पिछले दो लोकसभा चुनावों के वोटिंग ट्रेंड का बारीकी से अध्ययन किया है। इसमें सामने आया है कि जिन इलाकों में कोई मंदिर है, वहां आसपास के बूथों पर भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है।
लेकिन, यह ट्रेंड कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत में नहीं है। इसी समस्या का हल तलाशने के लिए भाजपा मंदिरों के आसपास के वोटरों की सिलसिलेवार मैपिंग करा रही है। मकसद साफ है कि जैसा फायदा भाजपा को उत्तर, मध्य, पश्चिम और पूर्वोत्तर राज्यों में मंदिरों की वजह से मिलता है, ठीक वैसा ही दक्षिण के राज्यों में भी मिले।
इसलिए पार्टी ने मिशन 2024 के लिए दक्षिण के मंदिरों को केंद्र में रखकर ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। दक्षिण में भाजपा की रणनीति हर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले प्रमुख मंदिरों के इर्दगिर्द बुनी जा रही है।
सर्वे में पाया है कि हर गांव में औसतन 1.27 पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जिनके आसपास की आबादी के बीच में मंदिर है। ये वही बूथ हैं, जहां भाजपा को उम्मीद से बढ़कर समर्थन मिला है। हालांकि, दक्षिण भारत के राज्यों में ऐसा नहीं है।
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने माना कि बड़े मार्जिन से जीत के लिए यह फैक्टर बेहद अहम है। संभवत: इसीलिए हमारे प्रतिद्वंद्वी भी अब मंदिर और हिंदुत्व की राजनीति करने लगे हैं।
भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों का एनालिसिस करने के लिए अलग-अलग समूह गठित किए थे। इन समूहों की रिपोर्ट्स के आधार पर वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा- ‘हमने पाया कि मंदिरों के आसपास के इलाकों के बूथों पर हमें 2014 में 58% और 2019 में 61% वोट मिले। लेकिन, दक्षिण के ऐसे इलाकों में 14% और 22% वोट मिले।
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