राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की मेहनत पर पानी फेरा ..
गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की मेहनत पर पानी फेरा ..
लोकसभा स्पीकर ने राहुल गांधी के भाषण के वे अंश कार्यवाही से हटा दिए थे, जिनमें उन्होंने अडानी को लेकर मोदी पर सीधे प्रहार किए थे| वह राहुल गांधी के सामने सरकार की पहली हार थी| बजट सत्र के सोमवार से शुरू हुए दूसरे हिस्से में अगर राहुल गांधी सरकार पर हमलों की बौछार जारी रखते तो उनकी छवि में बदलाव भी दिखाई देता| यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि वह नया अवतार ले रहे हैं, पप्पू की छवि वाला राहुल मर चुका है| विपक्ष के सांसद इस सत्र में उन्हें नए परिपक्व राजनीतिज्ञ के रूप में देखने की कल्पना कर रहे थे| राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से कुकरमुत्तों की तरह उग रहे प्रधानमंत्री पद के दावेदारों को पीछे छोड़ दिया था| उसके बाद कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन से संदेश गया था कि कांग्रेस का भी कायापलट हुआ है, वह भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों के साथ मिलजुल कर काम करेगी| कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी एकता की जमीन तैयार हुई थी, आगे इस बात पर निर्भर था कि राहुल गांधी नेता के तौर पर खुद को बदला हुआ दिखाते है या नहीं| लेकिन राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में जितना हासिल किया था, उसे अपनी इंग्लैंड यात्रा में गवां दिया| राहुल गांधी ने अपने भाषणों में मोदी सरकार की जम कर आलोचना की, मोदी पर व्यक्तिगत प्रहार करते हुए उन्हें तानाशाह तो कहा ही, यह भी कहा कि वह एक उद्योगपति अडानी को फायदा पहुँचाने वाली नीतियाँ बना रहे हैं| ये सब बातें उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी सब जगह कही थी, विपक्ष के नेता के नाते यह उनका अधिकार है कि वह सरकार और उसके मुखिया की आलोचना करें| लेकिन राहुल गांधी यहीं पर चुप रहते तो कोई फर्क नहीं पड़ता, राहुल गांधी इससे बहुत आगे निकल गए। उन्होंने मोदी सरकार की अमेरिका और चीन नीति पर प्रहार किए| चीन के पक्ष में बैटिंग की और भारत में लोकतंत्र खत्म होने की बात कह कर अमेरिका और ब्रिटेन से लोकतंत्र बहाली के लिए मदद माँगी| उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप खुद को लोकतंत्र का प्रहरी बताते हैं, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि भारत का लोकतंत्र सिर्फ भारत के लिए ही मायने नहीं रखता है, उनके लिए भी महत्वपूर्ण है| इस तरह की बातें करके राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी की नहीं, बल्कि भारत की छवि खराब कर दी है|
2012 में जब नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय नेता के रूप में उभर रहे थे और अमेरिका में नई ओबामा सरकार आ गई थी तो लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सांसदों ने ओबामा को चिठ्ठी लिखकर मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने की नीति को जारी रखने की अपील की थी| राहुल गांधी के लंदन में दिए गए भाषणों से नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब होती है या नहीं यह अलग बात है| अमेरिका सात आठ साल तक नरेंद्र मोदी के वीजा पर रोक लगाने के बाद भी मोदी को प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोक सका| इसलिए राहुल गांधी को इस घटना से ही सबक लेना चाहिए था कि अमेरिका भारत के लोकतंत्र को प्रभावित नहीं कर सकता, तो ऐसी बात क्यों कही जाए| लेकिन राहुल गांधी के सलाहाकार सैम पित्रोदा ने जैसी सलाह दी, उन्होंने वैसा ही कहा| इससे राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से जो भी कमाया था, उसे गवां लिया| जो निष्पक्ष लोग राहुल गांधी को पसंद करने लगे थे, वे दुबारा सोचने को मजबूर हैं कि क्या राहुल गांधी कभी परिपक्व राजनीतिज्ञ बन सकेंगे?
भारतीय जनता पार्टी तो ऐसे मौके का इंतजार कर रही थी कि कब मौका मिले और राहुल गांधी की नई बन रही छवि पर मिट्टी डाली जाए| राहुल गांधी अभी लन्दन में ही थे कि भारत में उनकी चारों तरफ आलोचना शुरू हो गई| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कर्नाटक में अपनी रैली में दिए भाषण में राहुल गांधी के भारत विरोधी भाषण का जिक्र किया| इधर राहुल गांधी भारत लौटे और उधर 13 मार्च को बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू हो गया| मल्लिकार्जुन खड़गे समूचे विपक्ष को एक मंच पर लाने में कामयाब हो गए थे, विपक्षी दलों के नेताओं पर पड़ रहे सीबीआई और ईडी के छापों ने विपक्षी एकता करवाने में मदद की थी| विपक्ष की बैठक में इसी को पहले दिन का मुद्दा बनाने पर सहमति भी हो गई थी, जो कांग्रेस सदन के बाहर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का समर्थन कर रही है, वह सदन के भीतर विरोध करने को तैयार हो गई थी| सदन के बाहर कांग्रेस का कड़ा विरोध कर रही आम आदमी पार्टी सदन के भीतर मल्लिकार्जुन खड़गे की बुलाई विपक्ष की बैठक में शामिल हो रही थी| विपक्षी एकता का एक खाका उभरने लगा था कि भाजपा ने संसद के दोनों सदनों में राहुल गांधी के लंदन में दिए भाषणों को मुद्दा बना कर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया| हंगामा इतना हुआ कि पहले दिन सोमवार तो क्या दूसरे दिन मंगलवार को भी संसद नहीं चली| यह हंगामा लंबा भी चल सकता है, क्योंकि जितने दिन हंगामा चलेगा उतने दिन मीडिया में राहुल गांधी के भाषणों की चर्चा होगी| कांग्रेस को उतना ही नुकसान होगा, जितना पहले की गलतियों से होता रहा है| अब विपक्ष हर रोज मुद्दे बदलने को मजबूर है, पहले दिन विपक्षी नेताओं पर हो रही सीबीआई और ईडी की कार्रवाई का मुद्दा था, तो दूसरे दिन विपक्ष अडानी के मुद्दे पर लौट आया| गौतम अडानी की ग्रुप कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जो सरकार विपक्ष के हमले झेल रही थी, उसी को अब राहुल गांधी की अपरिपक्वता ने धारदार हथियार सौंप दिया है|
लोकसभा चुनावों से पहले अभी संसद के तीन सत्र और होने हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा इसी सत्र को अंतिम सत्र मानकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है| राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा संसद नहीं चलने दे रही और ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार ही संसद नहीं चलने दे रही| वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कई बार हो चुका है| भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी का यह पहला संसद सत्र होता, जिस में वह अपनी परिपक्वता का सबूत देते| वैसे यात्रा के बाद उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण की चर्चा में भाग लेते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे प्रहार करके सरकार को मजबूर कर दिया था कि वह सदन में किए गए सीधे प्रहारों को सदन की कार्यवाही से हटवाए|
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Digital all india news उत्तरदायी नहीं है।)
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