भारत विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना
सबसे बड़ी आबादी होने के मायने
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????भारत की आबादी के चीन से ज़्यादा होने की रिपोर्ट देते हुए यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फ़ंड ने बताया है कि भारत की एक-चौथाई आबादी की उम्र 14 साल से कम है, 10 से 19 साल के लोग 18 फ़ीसदी, 10 से 24 साल के लोग 26 फ़ीसदी तथा 15 से 64 साल के लोग 68 फ़ीसदी हैं. सात फ़ीसदी लोगों की आयु 65 साल है. चीन में यह आँकड़ा क्रमशः 17, 12, 18, 69 और 14 फ़ीसदी है.
????निश्चित रूप से इस डाटा में डेमोग्राफ़िक डिविडेंड दिखता है, लेकिन इस बारे में दो बातें अहम हैं- एक, यह दो-ढाई दशक में ख़त्म हो जाएगा; दो, हमारी कामकाजी आबादी समुचित रूप से शिक्षित और कौशल युक्त नहीं है. ????इस संबंध में हमें चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन का बयान देना चाहिए. उन्होंने कहा है कि पॉपुलेशन डिविडेंड केवल मात्रा का मामला नहीं है, गुणवत्ता का भी है. उन्होंने कहा है कि चीन के कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या लगभग 90 करोड़ है और आबादी के इस हिस्से के पास औसतन 10.5 साल की शिक्षा है.
????हमारे देश में तो कामकाजी आबादी का लगभग 20 फ़ीसदी ही एक हद तक कौशल युक्त है. कुछ आकलन तो मानते हैं कि यह आँकड़ा पाँच फ़ीसदी से अधिक नहीं है.
????कामकाजी आबादी का नब्बे फ़ीसदी से अधिक हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है और इनकी मासिक आमदनी दस हज़ार से कम है. साफ़ है कि बहुत बड़ी आबादी अपने बच्चों को बढ़िया खाना, उपचार और शिक्षा देने में सक्षम नहीं है. देश के बड़े हिस्से में स्कूल-कॉलेज का हाल क्या है, सबको पता है.
????ऐसी स्थिति में जो भविष्य के लिए कामकाजी पीढ़ी तैयार होगी, उसका स्तर क्या होगा, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है. यह भी याद रहे कि 40 के दशक के आख़िरी सालों में हमारा डेमोग्राफ़िक डिविडेंड भी ख़त्म होना शुरू हो जाएगा यानी आबादी में आश्रितों (बच्चों व बूढ़ों) का अनुपात कामकाजी लोगों (15 से 59 साल) से अधिक होने लगेगा.
????सबसे अफ़सोस की बात यह है कि शिक्षा और कौशल के लिए हमारे देश का बड़ा हिस्सा गंभीर ही नहीं है. उत्तर भारत और पूर्वी भारत तो इस मामले में किसी डार्क एज में है. इसे देखना हो, तो बिहार और तमिलनाडु के युवा की औसत शिक्षा का हिसाब देखना चाहिए. बाक़ी भयानक विषमता और परस्पर घृणा के वातावरण ने तबाही कर दी है.
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