नाटो का नया सदस्य...
हेलसिंकी एक्सप्रेसः फ़िनलैंडाइजेशन से फ़िनलैंड के नाटो सदस्य बनने तक
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इतिहास से दिलचस्प कोई गल्प नहीं हो सकता. अब देखिए, जो फ़िनलैंड नाटो की स्थापना का मुख्य कारक बना, वह अंततः नाटो का ३१वाँ सदस्य बनने जा रहा है. हुआ यह कि दूसरे महायुद्ध में सोवियत संघ ने जर्मनी के बड़े हिस्से को अपने अधीन कर लिया था, उसने बर्लिन फ़तह कर लिया था और हिटलर आत्महत्या कर चुका था.
अब यूरोप के पुनर्निर्माण और राजनीतिक व्यवस्था के निर्धारण का मामला था. साल १९४८ में कुछ अहम घटनाएँ हुईं और शीत युद्ध शुरू हुआ और नाटो बना. फ़रवरी-मार्च, १९४८ में चेकोस्लावोकिया में वहाँ की कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता अपने हाथ में ले ली.
अप्रैल में नॉर्वे की सरकार ने ब्रिटिश अधिकारियों को बताया कि उन्हें आशंका है कि सोवियत संघ कभी भी संधि करने की माँग कर सकता है. उसी महीने के पहले सप्ताह में सोवियत संघ और फ़िनलैंड के बीच एक संधि- YYA Treaty- हो चुकी थी. इस संधि में फ़िनलैंड की सुरक्षा की गारंटी सोवियत संघ ने दी और घरेलू मामलों में फ़िनलैंड को स्वतंत्रता थी.
इसी संधि के कारण फ़िनलैंड ने यूरोप के पुनर्निर्माण के मार्शल प्लान के तहत मिलने वाली सहायता को मना कर दिया था. बहरहाल, इन मामलों ने पश्चिम को बेचैन कर दिया कि सोवियत संघ तो एक-एक कर यूरोपीय देशों में सत्ता हथियाता जाएगा.
फ़िनलैंड वाली संधि को पूरे शीत युद्ध के दौरान ‘फ़िनलैंडाइजेशन’ की संज्ञा दी गयी. इसी फ़िनलैंडाइजेशन को रोकने के लिए नाटो की स्थापना अप्रैल, १९४९ में होती है, पर इसका आधार मार्च, १९४८ के ब्रसेल्स संधि के रूप में बन चुका था. विश्व युद्ध में फ़िनलैंड का मामला अजब रहा था.
पहले उसे सोवियत संघ से लड़ना पड़ा, फिर नाज़ी जर्मनी के साथ मिलकर सोवियत संघ से लड़ना पड़ा और अंत में सोवियत संघ के साथ मिलकर नाज़ी जर्मनी से लड़ना पड़ा. ख़ैर, यह भी कहना चाहिए कि पश्चिम, ख़ासकर अमेरिका और सोवियत संघ यूरोप के लिए अपना-अपना एजेंडा पहले ही बना चुके थे.
याल्टा कॉन्फ़्रेंस (फ़रवरी, १९४५) के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अमेरिकी राष्ट्रपति रूज़वेल्ट और सोवियत नेता स्टालिन से बड़े ख़फ़ा हुए थे कि दोनों ने आपस में यूरोप को बाँट लिया. पर, वे कुछ कर नहीं सके क्योंकि उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के साथ-साथ ब्रिटेन को भी बचाना था. आज फ़िनलैंड में मतदान हुआ है, सरकार बदलने के आसार हैं.
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