चीन की तारीफ, भारत की बदनामी :Rahul Gandhi in UK
भारत में एक बात बहुत प्रचलित है कि जैसी आपकी संगति होती है वैसी ही आपकी गति हो जाती है। राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज में जिस तरह से चीन में "सद्भावना" होने का प्रमाणपत्र दिया है उससे इतना तो साफ है कि उनके ऊपर उनके कम्युनिस्ट सलाहकारों और साथियों का प्रभाव गहरा हो चला है। राहुल गांधी के कम्युनिस्ट सलाहकार जो भारतीय लोकतंत्र में नागरिक आजादी को सर्वोपरि रखते हैं लेकिन वहीं जब चीन में तानाशाही की बात आती है तो गोलपोस्ट चेंज कर देते हैं। तब वो नागरिक स्वतंत्रता की बजाय "सद्भावना" की बात करने लगते हैं।
राहुल गांधी ने चीन की कम्युनिस्ट तानाशाही का यह कहकर बचाव किया कि उन्होंने बहुत पीड़ा झेली है इसलिए चीन का 'नागरिक अधिकारों में कटौती' जायज हो जाता है। राहुल गांधी के मुताबिक अगर चीन नागरिक अधिकारों में कटौती करे तो वह सद्भाव के लिए जरूरी है लेकिन भारत में जहां लोकतंत्र है, जहां नरेन्द्र मोदी दो बार से पूर्ण बहुमत की सरकार बना रहे हैं वहां 'तानाशाह मोदी' द्वारा नागरिक अधिकारों को खत्म किया जा रहा है तथा लोकतंत्रिक संस्थानों को नष्ट किया जा रहा है।
कैंब्रिज में राहुल यह साबित करने की कोशिश करते रहे कि भारत की मौजूदा सरकार ना सिर्फ लोकतंत्र विरोधी है, बल्कि वह भारत को बर्बाद कर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि उनकी जासूसी करवाई जाती है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने कुछ अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि उन अफसरों ने उन्हें फोन पर संभलकर बात करने की सलाह दी थी। राहुल यहां भी नहीं रूके। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सभी संस्थान सरकार के कब्जे में हैं। यहां तक कि मीडिया और न्यायालयों पर भी सरकार का नियंत्रण है।
यह संयोग ही है कि जिस समय राहुल कैंब्रिज में यह कह रहे थे, उसी समय देश में सुप्रीम कोर्ट चुनी हुई सरकार पर अपनी सुप्रीमेसी स्थापित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर ऐसा फैसला दे रहा था, जिससे सरकार के हाथ बंध जाते हैं। तो सवाल यह है कि क्या भारत में सचमुच लोकतंत्र की हत्या हो गई है या फिर राहुल जानबूझकर भारत की गलत तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं?
यह पहला मौका नहीं है कि राहुल गांधी ने विदेशी धरती पर ऐसी बात बोली है। कई बार विदेशी धरती पर भारत सरकार और देश के आंतरिक मुद्दों को राहुल गांधी ने ना सिर्फ उठाया है, बल्कि भारत सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। एक बार तो उन्होंने भारत की तुलना पाकिस्तान तक से कर दी थी।
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