रेल हादसे में मां मर गई, नौकरी दे दो, मंत्री के चक्कर लगा रहा था झूठा शख्स
सरकारी नौकरी पाने को बेताब एक व्यक्ति बालासोर ट्रेन हादसे को अपने फायदे के भुनाना चाह रहा था। इसके लिए उसने कई साल पहले ही दुनिया छोड़ चुकी अपनी मृत मां को फिर से मारने के लिए 'जीवित' कर दिया।
लालच बुरी बला है और लालची इंसान का अंजाम हमेशा बुरा ही होता है। ऐसा ही एक मामला ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के बाद सामने आया है। सरकारी नौकरी पाने को बेताब एक व्यक्ति बालासोर ट्रेन हादसे को अपने फायदे के लिए एक अवसर के रूप में भुनाना चाह रहा था। इसके लिए उसने कई साल पहले ही दुनिया छोड़ चुकी अपनी मृत मां को फिर से मारने के लिए 'जीवित' कर दिया। पटना का रहने वाला 42 वर्षीय संजय कुमार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर और अपने लिए नौकरी पाने के उद्देश्य से दिल्ली आया था।
अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को पकड़ा गया संजय कुमार न केवल अपने झूठे दावे के साथ मंत्री के आवास पर पहुंच था, बल्कि दो दिन केंद्रीय सचिवालय क्षेत्र में स्थित रेल भवन भी गया था।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, “जब संजय कुमार, अश्विनी वैष्णव के आवास पर पहुंचा तो उसे मंत्री से मिलने के लिए रेल भवन जाने का निर्देश दिया गया। इसके बाद वह मंत्री के कार्यालय पहुंचा और बार-बार बयान बदलने पर उसे पकड़ लिया गया।”
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “आरोपी संजय कुमार ने यह दावा करते हुए संपर्क किया था कि उसकी मां कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले यात्रियों में से एक थी, जो एक मालगाड़ी से दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि, हमें तब शक हुआ जब हमने पाया कि उसके पास अपनी मां की यात्रा का कोई सबूत नहीं था।”
एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि जब उससे उनकी वेटिंग लिस्ट या मां की यात्रा से संबंधित अन्य जानकारी दिखाने के लिए कहा तो संजय कुमार कोई भी जवाब नहीं दे सका। ''उसने दावा किया कि उसने एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से टिकट बुक किया था, लेकिन उसे उसका नाम याद नहीं है। वह हमें यह भी साबित नहीं कर सका कि उसकी मां का नाम वेटिंग लिस्ट में था।''
हालांकि, अधिकारी ने कहा, "हमने उसके पास मौजूद उसकी मां के फोटो के आधार पर सभी स्टेशनों पर उनकी तलाश शुरू कर दी, दुर्घटना होने से पहले ही ट्रेन रुक गई थी। हमारा मकसद फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक से उनका पता लगाना था। हालांकि, जब हम हादसे से पहले किसी भी रेलवे स्टेशन पर उसका पता नहीं लगा सके, तो हमें उसके दावे पर और संदेह हुआ।''
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब उससे पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि उसने रेल मंत्री से मिलने के लिए अपनी मां की मौत के बारे में झूठ बोला था। उसकी मां की मौत 2018 में ही हो गई थी, लेकिन बालासोर रेल हादसे के बाद जब रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा राशि की घोषणा की तो उसने रेल मंत्री से मिलकर मुआवजा राशि के बजाय नौकरी देने की गुहार लगाई।
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