केजरीवाल से धर्मार्थ के लिए जमीन मांगने तो नहीं गए होंगे...' जब ED ने भरी कोर्ट में दी दलील, तो जज ने पूछा- कब लागू हुई शराब नीति
प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी(आप) के खिलाफ कथित आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) दर्ज करेगा. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस.वी.राजू ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ से कहा कि हम अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ के खिलाफ अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) दाखिल करने का प्रस्ताव करते हैं. हम जल्द यह करेंगे. यह प्रक्रिया में है.
ईडी ने यह बयान केजरीवाल द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. शीर्ष अदालत ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में 10 मई को एक जून तक केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी. न्यायालय ने उन्हें दो जून को आत्मसमर्पण करने को कहा है. अदालत ने हालांकि, उप राज्यपाल की आवश्यक मंजूरी मिलने तक उन्हें दिल्ली सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में जाने और फाइल पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया है. यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार करने से जुड़ा है जिसे अब रद्द कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की याचिका की सुनवाई के दौरान क्या-क्या दलीलें दी गई
ईडी की तरफ से पेश हुए एसवी राजू ने दलील दी कि शराब के कारोबार में जुड़ा आदमी अगर उस समय केजरीवाल से मिलने जाएगा, जब शराब नीति तैयार हो रही हो तो इस बात की संभावना है कि वो धर्मार्थ के लिए जमीन आवंटन को मिलने नहीं गया हो.
सुप्रीम कोर्ट – शराब नीति कब लागू हुई
राजू – 17/11/2021
सुप्रीम कोर्ट- पैसा नीति लागू होने से पहले गया या बाद में
राजू- मार्च में
सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी:-
1- अगर PMLA के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी की शर्तों का उल्लंघन हुआ है, तो कोर्ट के दखल का औचित्य बनता है. ED का कहना था कि ट्रायल कोर्ट भी देख सकता है कि सेक्शन 19 का उल्लंघन हुआ है या नहीं, केजरीवाल को सीधे हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट आने की ज़रूरत नहीं थी.
2- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ED अधिकारी गिरफ्तारी के अधिकार का इस्तेमाल करने से पहले उस बयान/सबूतों को नजरअंदाज कर सकते है, जो आरोपी के पक्ष में जाते है. केजरीवाल पक्ष का कहना था कि ED ने गवाहों के उन शुरुआती बयानों को नजरंदाज कर दिया, जो केजरीवाल के पक्ष में जाते थे.
3- अगर हम किसी केस में गिरफ्तारी को खारिज करते है, तो इसके लिए हमे इस निष्कर्ष पर पहुंचना पर्याप्त होगा कि आरोपी के खिलाफ सारे तथ्यों को समग्र रूप में नहीं देखा गया.
4- गिरफ्तारी की वैधता पर फैसला लेने के लिए कोर्ट के लिए सिर्फ वही तथ्य मायने रखता है, जो गिरफ्तारी से पहले आरोपी के खिलाफ जांच एजेंसी के पास था. बाद में मिले सबूत यहां मायने नहीं रखते.
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