चीन राजतंत्र
कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है, पर यह तस्वीर हज़ार किताबों के बराबर है. इस तस्वीर में पाँच चीनी नेताओं की तस्वीरें हैं, जिन्होंने लगभग साढ़े सात दशकों से चीन को नेतृत्व दिया है.
इन पाँच नेताओं की तुलना अतीत व वर्तमान के किसी देश के नेताओं से नहीं की जा सकती. ये नेता दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के देश के नेता रहे हैं. माओ को जो देश मिला, वह तब दुनिया का सबसे अपमानित, ग़रीब और बीमार देश था. उसकी आबादी अनेक महादेशों की संयुक्त आबादी से अधिक थी. वहाँ से जो कारवाँ चला और आज जहाँ पहुँचा है, वह दुनिया के इतिहास में कभी नहीं हुआ.
पहले कभी नहीं हुआ, जब कई करोड़ लोगों को बहुत कम समय में ग़रीबी से उबारा गया, ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई लाचार-बीमार देश कुछ दशकों में दुनिया का सबसे स्वस्थ, कुशल, शिक्षित, पारंगत आबादी वाला देश बन गया. साल 2021 में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी (CCP) के सौ साल पूरे हुए.
इस पार्टी के नेतृत्व में चीन का महाशक्ति बनना एक अद्भुत महागाथा है. चीन को अंग्रेज़ों ने अफ़ीम से इस क़दर तबाह किया था कि एक सदी तक उसे कई देशों ने रौंदा और लूटा. इस दौर को चीन के इतिहास में अपमान की सदी कहा जाता है. उस सदी की स्मृति चीन के संकल्प का मुख्य आधार है.
आज देखिए, विश्वविद्यालयों की रैंकिंग देखिए, चीन से बाहर पढ़ने, काम करने और घूमने जाने वालों की संख्या देखिए, ओलंपिक खेलों की पदक तालिका देखिए, अर्थव्यवस्था से जुड़े चार्ट व ग्राफ़ देखिए, आश्चर्यजनक उपलब्धियों की गिनती बहुत लंबी है. हमारे देश में सिनोफोबिया का बड़ा ज़ोर रहा है, सो कुछ लोगों को यह पोस्ट अच्छी नहीं लगेगी.
बहरहाल, मेरा सुझाव है, जैसा कि फ़िल्म ‘गॉडफ़ादर’ में एक डायलॉग है- Never hate your enemies. It affects your judgment. जब गंभीर चुनौतियों और ख़तरनाक मुश्किलों का सामना हो, तो डेढ़ जीबी रोज़ाना की पॉलिटिकल इकोनॉमी से ऊपर उठकर सोचा जाना चाहिए.
लाहौरी नासिर ज़ैदी की चिंता हमारी भी चिंता होनी चाहिए-
क्या हुए रह-रवान-ए-मंज़िल-ए-शौक़
क्यूँ है सुनसान रास्ता कुछ सोच
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