भारतीय राजनीति
हाथी प्रोजेक्ट के 30 वर्ष पूरे हो गए और हाथियों के मरने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। यही उद्देश्य रहा होगा देश के रणनीतिकारों/ भगवानों/नौकरशाहों का रूपरेखा बनाते वक्त । जहां ओर एशियाई देश हजारों के बजट को भी सोच समझ के सही तरीके से खर्च करके हाथी बचाने की सफल कोशिश कर रहे वहीं भारत में फैशन है 200 करोड़ का बजट बनाओ फिर विफल ट्रायल का बहाना करके एक ओर प्रोजेक्ट बना दो। हासिल क्या? 2015 में नागरहोल नेशनल पार्क के पास, रेल फैंस प्रोजेक्ट की प्रथम फेज के अंतर्गत 212 करोड़ के बजट की स्वीकृति राज्य सरकार ने दी। और कहा कि ऐसा ही कार्य बांदीपुर, मादिकेरी, विराजपुर में रेप्लिकेट करने की राज्य सरकार की योजना है। रेल फैंस प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद वाइल्ड लाइफ जॉन कि सारी सीमा को कवर कर सकेगा ( वाइल्ड लाइफ कोरिडोर खुले रहेंगे ) लेकिन प्राथमिक रूप से बांदीपुर, नागरहोल में काम होगा चूंकि यहां हाथियों की आवाजाही अधिक रहती है। 33 किमी में रेल फैंस लगाए जा रहे हैं ताकि हाथी उस क्षेत्र को पार न करे। ये देश का पहला रेल फैंस प्रोजेक्ट है । इंसानों - हाथियों के बीच कॉन्फ्लिक्ट कम करने के लिए लॉन्च किया गया। अब हाथी को थोड़े पता है ये उसके लिए लगाए गए हैं। फैंस लगाने का काम 2015 में शुरू होते ही विवादों में आया जब इसमें हाथी के बच्चे लोहे के फैंस के बीच के गेप में फसने लगे और बड़े हाथी पार करते वक्त । तस्वीर में एक हाथी जो फसल खाने के लिए खेतों में घुस तो गया लेकिन वापस लौटते वक्त पार नहीं कर पाया.
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