सिंगापुर के सुपरमार्केट ने भारतीय मूल के मुस्लिम जोड़े को मुफ्त रमजान ट्रीट देने से इनकार

भारतीय मूल के मुस्लिम जोड़े अपने दो छोटे बच्चों के साथ किराने की खरीदारी कर रहे थे नेशनल ट्रेड्स यूनियन कांग्रेस (NTUC) द्वारा चलाए जा रहे सुपरमार्केट में मुफ्त जलपान के पास से एक पुरुष कर्मचारी ने उन्हें दूर भगा दिया।

अप्रैल 11, 2023 - 21:33
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सिंगापुर के सुपरमार्केट ने भारतीय मूल के मुस्लिम जोड़े को मुफ्त रमजान ट्रीट देने से इनकार

रमजान मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है। यह इस्‍लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना है। रमजान का महीना पूरा होने पर ईद का त्‍योहार मनाया जाता है। रमजान के महीने में मुस्लिम रोजा रखकर अपने अल्‍लाह की इबादत करते हैं। रमजान में लोग सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं। लोग अपना रोजा शुरु करने से पहले तड़के सेहरी करते हैं और रोजा खोलने के लिए इफ्तारी।

शाम की इफ्तारी में एक से बढ़कर एक भोजन का भव्य आयोजन किया जाता है। वहीं, इस पाक महीने में सिंगापुर से भेदभाव की खबर सामने आई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां के एक बड़े सुपरमार्केट चेन ने एक भारतीय मूल के मुस्लिम जोड़े को रमजान के दौरान दिए जाने वाले मुफ्त जलपान को खाने से रोक दिया। हालांकि बाद में, उन्होंने अपनी इस हरकत के लिए माफी मांगी।

36 वर्षीय जहांबर शालिह और 35 वर्षीय उनकी पत्नी फराह नाद्या ने सिंगापुर के सुपरमार्केट में उनके साथ हुई इस घटना की जानकारी रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर दी। उन्होंने कहा कि 9 अप्रैल को शाम करीब 7 बजे वे टैम्पाइन्स हब में फेयरप्राइस आउटलेट गए थे। जब वे अपने दो छोटे बच्चों के साथ किराने की खरीदारी कर रहे थे, नेशनल ट्रेड्स यूनियन कांग्रेस (NTUC) द्वारा चलाए जा रहे सुपरमार्केट में मुफ्त जलपान के पास से एक पुरुष कर्मचारी ने उन्हें दूर भगा दिया। बता दें कि जहांबर भारतीय हैं, वहीं उनकी पत्नी फराह भारतीय-मलय हैं।

जहांबार ने बताया कि फेयरप्राइस ग्रुप ने 23 मार्च को अपना इफ्तार बाइट स्टेशन शुरू किया, जिसमें महीने भर चलने वाली रमजान अवधि के दौरान मुस्लिम ग्राहकों को अपने 60 आउटलेट्स पर स्नैक्स या खजूर के साथ मानार्थ पेय की मुफ्त पेशकश की गई। इस पहल के दौरान मुस्लिम ग्राहकों को इफ्तार से 30 मिनट पहले और बाद में डिब्बाबंद पेय और रमजान के दौरान शाम की नमाज के बाद लिया जाने वाला भोजन दिया जाता है।

"मैं बोर्ड पर क्या था यह पढ़ने के लिए चला गया क्योंकि मुझे लगा कि यह आम तौर पर एनटीयूसी द्वारा एक अच्छा इशारा था और वाकई यह है भी। लेकिन जैसे ही मैंने इसे पढ़ना शुरू किया, एनटीयूसी के इस कर्मचारी ने मुझसे संपर्क किया और उसने मुझे 'भारत नहीं' कहा ... और मैं हैरान नजरो से उसे देखता रहा..." जब जहांबर ने पुरुष कर्मचारी से पूछा कि उसका क्या मतलब है, तो उस व्यक्ति ने दोहराया "भारतीय इस पहल का हिस्सा नहीं बन सकते।''

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