सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल के हक में फैसला, ऑफिसर्स की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक मिला
सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल के हक में फैसला, ऑफिसर्स की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक मिला
                                दिल्ली का असली बॉस कौन है, मुख्यमंत्री या फिर उपराज्यपाल? इसका फैसला गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया। कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही कहा कि अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक निर्वाचित सरकार को है।
दरअसल दिल्ली में 'कंट्रोल ऑफ सर्विस' को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसको काफी वक्त पहले ही संविधान पीठ को ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसने आज फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत बुनियादी संरचना संघवाद का एक हिस्सा है, जो विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं और विविध आवश्यकताओं को समायोजित करते हैं।
इसके अलावा अगर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को अधिकारियों को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं दी जाती है, तो जवाबदेही की 'ट्रिपल चेन प्रिंसिपल' (ट्रिपल श्रृंखला का सिद्धांत) निरर्थक होगा। अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत भी प्रभावित होता है।
इसके साथ ही पीठ ने फैसला सुनाया कि दिल्ली में जिन भी अधिकारियों की पोस्टिंग या ट्रांसफर होगा, वो जनता द्वारा चुनी गई सरकार करेगी। उपराज्यपाल इस संबंध में सरकार की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं।
वहीं केंद्र सरकार को भी इस फैसले में थोड़ी राहत मिली है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और लैंड के मामले में उसकी चलेगी।
'अन्य राज्यों की तरह दिल्ली नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि दिल्ली अन्य राज्यों की तरह नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि नेशनल कैपिटल टेरिटरी (NCT) एक पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता। उसके अधिकार संविधान के मुताबिक अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं।
ऐसे समझें पूरा मामला
दरअसल 2021 में मोदी सरकार गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) लेकर आई थी। जिसमें उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाया गया। साथ ही ये कहा गया कि जनता द्वारा चुनी गई दिल्ली की सरकार कोई भी फैसला लेने से पहले एलजी की राय लेगी। इसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।                        
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